Friday, August 26, 2011

जागरण गीत

इस जागरण गीत में कवि असावधान और बेखबर लोगों को सोने के बदले जागने और पतन के रास्ते चलने के बदले प्रगति पथ पर आगे बढने का सन्देश देता है. उसका मानना है कि कल्पना-लोक में विचरण करने वालों को ठोस धरती की वास्तविकताओं को जानना चाहिए. कवि रास्ते में रुके हुए और घबराए हुए लोगों को साहस देना चाहता है.

अब न गहरी नींद में तुम सो सकोगे,
गीत गाकर मैं जगाने आ रहा हूँ !
अतल  अस्ताचल तुम्हें जाने न दूँगा,
अरुण उदयाचल सजाने आ रहा हूँ .

कल्पना में आज तक उड़ते रहे तुम,
साधना से सिहरकर मुड़ते रहे तुम.
अब तुम्हें आकाश में उड़ने न दूँगा,
आज धरती पर बसाने आ रहा हूँ .

सुख नहीं यह, नींद में सपने सँजोना,
दुख नहीं यह, शीश पर गुरु भार ढोना.
शूल तुम जिसको समझते थे अभी तक,
फूल  मैं  उसको  बनाने  आ  रहा हूँ .

देख कर मँझधार को घबरा न जाना,
हाथ ले पतवार को घबरा न जाना .
मैं किनारे पर तुम्हें थकने  न दूँगा,
पार मैं तुमको लगाने आ रहा हूँ.

तोड़ दो  मन में कसी सब श्रृंखलाएँ
तोड़ दो मन में बसी संकीर्णताएँ.
बिंदु  बनकर मैं तुम्हें ढलने न दूँगा,
सिंधु बन तुमको उठाने आ रहा हूँ.

तुम उठो, धरती उठे, नभ शिर उठाए,
तुम चलो गति में नई गति झनझनाए.
विपथ होकर मैं तुम्हें मुड़ने न दूँगा,
प्रगति के पथ पर बढ़ाने आ रहा हूँ.

"सोहनलाल द्विवेदी"





13 comments:

Arvind Mishra said...

प्रेरणादायक

Smart Indian said...

बहुत सुन्दर और प्रेरणादायक गीत है, आभार!

Dr.R.Ramkumar said...

अब न गहरी नींद में तुम सो सकोगे,
गीत गाकर मैं जगाने आ रहा हूँ !
अतल अस्ताचल तुम्हें जाने न दूँगा,
अरुण उदयाचल सजाने आ रहा हूँ .

तोड़ दो मन में कसी सब श्रृंखलाएँ
तोड़ दो मन में बसी संकीर्णताएँ.
बिंदु बनकर मैं तुम्हें ढलने न दूँगा,
सिंधु बन तुमको उठाने आ रहा हूँ.

हिन्दी काव्य के इस हीरक कवि को पुनः स्मृति तक लाने का कितना आभार मानूं ? समझ नहीं आ रहा। यह चयन आपकी उदात्तता का परिचायक है। बधाई।

मीनाक्षी said...

@मिश्राजी, @अनुरागजी, @डॉ रामकुमारजी..आप सबको यहाँ देखकर अच्छा लगा..आभार

Shivam said...

बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ ।

Unknown said...

Very nice poem

Bharti Mishra said...

महोदय क्या मुझे इस कविता का सरल अनुवाद मिल सकता है?

Unknown said...

Sindhu ban tumko uthane aa rha hoon

Unknown said...

Sindhu ban tumko uthane aa rha hoon
Is line Ka bhawarth

Unknown said...

Kha is Kavita Ka saral vyakha mil Sakti hi

Hindi seagar said...

https://hindiseagar.blogspot.com/?m=1

Anonymous said...

Is kavita ko bhajan me Bohot hi sundar gaya gaya Divya jyoti jagrati sansthan dwara …. https://youtu.be/p8_fKUhxl9o

Munna Chauhan said...

आज हम बात करेंगे। अपने मनुष्य जीवन में।
सत्य और झूठ के बीच सहयोग देखकर मन मनमुताबिक जीवन जिने का रहस्य सफाई सच्चाई प्रेम।
हम सत्संग के मध्यम से सत्यगुरु का शब्द सरल भाव प्रकट होकर अपने-आप स्वरुप नाम रुप अन्तर्मन ह्रदय मे दया सिल संतोष विचार के साथ इंसानियत रुप धारण कर के प्रकृति और गुरु शब्द के मध्यम से हम भगवान को जानेंगे साहेब।